RAKHI Saroj

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लेखनी प्रतियोगिता -13-Dec-2022

रूकें एहसास

बिखरी सी जिंदगी है रूकें से 
ख्वाब है मेरे खोलो बाहें फैला 
कर मेरी आंखों से मूंद कर पूरा 
जहां एक बार रुक कर थाम लो 
जिंदगी ज़रा ढहर कर मेरे 
एहसासों को समझो जैसे तेरी 
खुशबू में हम  बस गए है कोई 
सोचों तो ज़रा मेरे एहसासों को
बीत ना जाएं जिंदगी का मंजर। 
      राखी सरोज 

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6 Comments

Sachin dev

15-Dec-2022 05:54 PM

बहुत खूब

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RAKHI Saroj

16-Dec-2022 12:22 AM

धन्यवाद आपका

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Renu

14-Dec-2022 08:46 AM

👍👍

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RAKHI Saroj

14-Dec-2022 09:07 AM

Thank you

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Abhinav ji

14-Dec-2022 08:01 AM

Nice

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RAKHI Saroj

14-Dec-2022 09:07 AM

Thank you

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